ਦਸਮ ਗਰੰਥ । दसम ग्रंथ । |
Page 658 ਅਥ ਨਲਨੀ ਸੁਕ ਉਨੀਵੋ ਗੁਰੂ ਕਥਨੰ ॥ अथ नलनी सुक उनीवो गुरू कथनं ॥ ਕ੍ਰਿਪਾਣ ਕ੍ਰਿਤ ਛੰਦ ॥ क्रिपाण क्रित छंद ॥ ਮੁਨਿ ਅਤਿ ਅਪਾਰ ॥ मुनि अति अपार ॥ ਗੁਣ ਗਣ ਉਦਾਰ ॥ गुण गण उदार ॥ ਬਿਦਿਆ ਬਿਚਾਰ ॥ बिदिआ बिचार ॥ ਨਿਤ ਕਰਤ ਚਾਰ ॥੩੮੯॥ नित करत चार ॥३८९॥ ਲਖਿ ਛਬਿ ਸੁਰੰਗ ॥ लखि छबि सुरंग ॥ ਲਾਜਤ ਅਨੰਗ ॥ लाजत अनंग ॥ ਪਿਖਿ ਬਿਮਲ ਅੰਗ ॥ पिखि बिमल अंग ॥ ਚਕਿ ਰਹਤ ਗੰਗ ॥੩੯੦॥ चकि रहत गंग ॥३९०॥ ਲਖਿ ਦੁਤਿ ਅਪਾਰ ॥ लखि दुति अपार ॥ ਰੀਝਤ ਕੁਮਾਰ ॥ रीझत कुमार ॥ ਗ੍ਯਾਨੀ ਅਪਾਰ ॥ ग्यानी अपार ॥ ਗੁਨ ਗਨ ਉਦਾਰ ॥੩੯੧॥ गुन गन उदार ॥३९१॥ ਅਬ੍ਯਕਤ ਅੰਗ ॥ अब्यकत अंग ॥ ਆਭਾ ਅਭੰਗ ॥ आभा अभंग ॥ ਸੋਭਾ ਸੁਰੰਗ ॥ सोभा सुरंग ॥ ਤਨ ਜਨੁ ਅਨੰਗ ॥੩੯੨॥ तन जनु अनंग ॥३९२॥ ਬਹੁ ਕਰਤ ਨ੍ਯਾਸ ॥ बहु करत न्यास ॥ ਨਿਸਿ ਦਿਨ ਉਦਾਸ ॥ निसि दिन उदास ॥ ਤਜਿ ਸਰਬ ਆਸ ॥ तजि सरब आस ॥ ਅਤਿ ਬੁਧਿ ਪ੍ਰਕਾਸ ॥੩੯੩॥ अति बुधि प्रकास ॥३९३॥ ਤਨਿ ਸਹਤ ਧੂਪ ॥ तनि सहत धूप ॥ ਸੰਨ੍ਯਾਸ ਭੂਪ ॥ संन्यास भूप ॥ ਤਨਿ ਛਬਿ ਅਨੂਪ ॥ तनि छबि अनूप ॥ ਜਨੁ ਸਿਵ ਸਰੂਪ ॥੩੯੪॥ जनु सिव सरूप ॥३९४॥ ਮੁਖ ਛਬਿ ਪ੍ਰਚੰਡ ॥ मुख छबि प्रचंड ॥ ਆਭਾ ਅਭੰਗ ॥ आभा अभंग ॥ ਜੁਟਿ ਜੋਗ ਜੰਗ ॥ जुटि जोग जंग ॥ ਨਹੀ ਮੁਰਤ ਅੰਗ ॥੩੯੫॥ नही मुरत अंग ॥३९५॥ ਅਤਿ ਛਬਿ ਪ੍ਰਕਾਸ ॥ अति छबि प्रकास ॥ ਨਿਸਿ ਦਿਨ ਨਿਰਾਸ ॥ निसि दिन निरास ॥ ਮੁਨਿ ਮਨ ਸੁਬਾਸ ॥ मुनि मन सुबास ॥ ਗੁਨ ਗਨ ਉਦਾਸ ॥੩੯੬॥ गुन गन उदास ॥३९६॥ ਅਬ੍ਯਕਤ ਜੋਗ ॥ अब्यकत जोग ॥ ਨਹੀ ਕਉਨ ਸੋਗ ॥ नही कउन सोग ॥ ਨਿਤਪ੍ਰਤਿ ਅਰੋਗ ॥ नितप्रति अरोग ॥ ਤਜਿ ਰਾਜ ਭੋਗ ॥੩੯੭॥ तजि राज भोग ॥३९७॥ ਮੁਨ ਮਨਿ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ॥ मुन मनि क्रिपाल ॥ ਗੁਨ ਗਨ ਦਿਆਲ ॥ गुन गन दिआल ॥ ਸੁਭਿ ਮਤਿ ਸੁਢਾਲ ॥ सुभि मति सुढाल ॥ ਦ੍ਰਿੜ ਬ੍ਰਿਤ ਕਰਾਲ ॥੩੯੮॥ द्रिड़ ब्रित कराल ॥३९८॥ ਤਨ ਸਹਤ ਸੀਤ ॥ तन सहत सीत ॥ ਨਹੀ ਮੁਰਤ ਚੀਤ ॥ नही मुरत चीत ॥ ਬਹੁ ਬਰਖ ਬੀਤ ॥ बहु बरख बीत ॥ ਜਨੁ ਜੋਗ ਜੀਤ ॥੩੯੯॥ जनु जोग जीत ॥३९९॥ ਚਾਲੰਤ ਬਾਤ ॥ चालंत बात ॥ ਥਰਕੰਤ ਪਾਤ ॥ थरकंत पात ॥ ਪੀਅਰਾਤ ਗਾਤ ॥ पीअरात गात ॥ ਨਹੀ ਬਦਤ ਬਾਤ ॥੪੦੦॥ नही बदत बात ॥४००॥ ਭੰਗੰ ਭਛੰਤ ॥ भंगं भछंत ॥ ਕਾਛੀ ਕਛੰਤ ॥ काछी कछंत ॥ ਕਿੰਗ੍ਰੀ ਬਜੰਤ ॥ किंग्री बजंत ॥ ਭਗਵਤ ਭਨੰਤ ॥੪੦੧॥ भगवत भनंत ॥४०१॥ ਨਹੀ ਡੁਲਤ ਅੰਗ ॥ नही डुलत अंग ॥ ਮੁਨਿ ਮਨ ਅਭੰਗ ॥ मुनि मन अभंग ॥ ਜੁਟਿ ਜੋਗ ਜੰਗ ॥ जुटि जोग जंग ॥ ਜਿਮਿ ਉਡਤ ਚੰਗ ॥੪੦੨॥ जिमि उडत चंग ॥४०२॥ ਨਹੀ ਕਰਤ ਹਾਇ ॥ नही करत हाइ ॥ ਤਪ ਕਰਤ ਚਾਇ ॥ तप करत चाइ ॥ ਨਿਤਪ੍ਰਤਿ ਬਨਾਇ ॥ नितप्रति बनाइ ॥ ਬਹੁ ਭਗਤ ਭਾਇ ॥੪੦੩॥ बहु भगत भाइ ॥४०३॥ ਮੁਖ ਭਛਤ ਪਉਨ ॥ मुख भछत पउन ॥ ਤਜਿ ਧਾਮ ਗਉਨ ॥ तजि धाम गउन ॥ ਮੁਨਿ ਰਹਤ ਮਉਨ ॥ मुनि रहत मउन ॥ ਸੁਭ ਰਾਜ ਭਉਨ ॥੪੦੪॥ सुभ राज भउन ॥४०४॥ ਸੰਨ੍ਯਾਸ ਦੇਵ ॥ संन्यास देव ॥ ਮੁਨਿ ਮਨ ਅਭੇਵ ॥ मुनि मन अभेव ॥ ਅਨਜੁਰਿ ਅਜੇਵ ॥ अनजुरि अजेव ॥ ਅੰਤਰਿ ਅਤੇਵ ॥੪੦੫॥ अंतरि अतेव ॥४०५॥ ਅਨਭੂ ਪ੍ਰਕਾਸ ॥ अनभू प्रकास ॥ ਨਿਤਪ੍ਰਤਿ ਉਦਾਸ ॥ नितप्रति उदास ॥ ਗੁਨ ਅਧਿਕ ਜਾਸ ॥ गुन अधिक जास ॥ ਲਖਿ ਲਜਤ ਅਨਾਸ ॥੪੦੬॥ लखि लजत अनास ॥४०६॥ ਬ੍ਰਹਮੰਨ ਦੇਵ ॥ ब्रहमंन देव ॥ ਗੁਨ ਗਨ ਅਭੇਵ ॥ गुन गन अभेव ॥ ਦੇਵਾਨ ਦੇਵ ॥ देवान देव ॥ ਅਨਭਿਖ ਅਜੇਵ ॥੪੦੭॥ अनभिख अजेव ॥४०७॥ ਸੰਨਿਆਸ ਨਾਥ ॥ संनिआस नाथ ॥ ਅਨਧਰ ਪ੍ਰਮਾਥ ॥ अनधर प्रमाथ ॥ ਇਕ ਰਟਤ ਗਾਥ ॥ इक रटत गाथ ॥ ਟਕ ਏਕ ਸਾਥ ॥੪੦੮॥ टक एक साथ ॥४०८॥ |
Dasam Granth |